धर्मेन्द्र विह्वल
नेपालगञ्ज अर्थात माता वागेश्वरीक नगरीक यात्रा हमरालेल सदैत विशेष रहि आएल अइछ । एतौका पछिला भ्रमण सेहो हमरालेल खास बनल कही तँ असान्दर्भिक नै हएत । पश्चिम नेपालऽक एक महत्वपूर्ण स्थानऽक रुपमे परिचित नेपालगञ्ज उपमहानगरपालिका नेपालमे अवधी भाषा, सभ्यता आ संस्कृतिक आधारभूमीक रुपमे सेहो स्थापित अइछ ।
एहि शहरमे हम पछिलाबेर २०८२ सालऽक अखाढ़ २१ गते गेल रही आ २२ गते धैर रहल रही । एहबेरीक यात्राक सन्दर्भमे मिथिला–अवध संस्कृतिक सन्दर्भ बड़ा महत्वपूर्ण रहल । ओना हम बहुत पहिने सँ मिथिला–अवधऽक सम्बन्धमे जानकारी लेबाक प्रयत्न करैत रहलौं अइछ । हम सदैत ई दूनु सभ्यताबीचऽक सम्बन्ध सुदृढ होबाक चाही ताहि पक्षमे रही आ छी ।
हम जानकीक नैहर–नगर जनकपुरऽक लोक । रामऽक अयोध्याक एक महत्वपूर्ण भूमी नेपालगञ्ज । एहि दूनु नगरऽक लोकऽबीच सार बहिनोइयक सम्बन्धक भाव हमरामे विकसित भेलसन हमरा पछिला भ्रमणमे बुझाएल रहए, आ ई अत्यन्त स्वाभाविक रहए ।
मिथिला–अवध सम्बन्धऽक धरोहरि
एहिबेरुक यात्राक क्रममे एहि नगरऽक सांस्कृतिक आ साहित्यिक जानकार मुर्धन्य व्यक्तित्वसभ सँ भरिपोख बात विमर्श भेल रहए । हमरा दृष्टिएँ, ई हमर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि अइछ । विमर्शक निष्कर्ष रहैक–जनकपुर आ नेपालगञ्ज नगरबीचऽक सम्बन्ध सुदढीकरणक माध्यमे मिथिला–अवध दू सभ्यताबीचऽक सम्बन्धके सुदृढीकरण हेबाक चाही ।
एकटा कारण इहो आइछ, जे हमरा लगैए जनकपुर अर्थात जानकीक नैहरऽक लोक होबाक कारणे नेपालगञ्जऽक अवधी भाषीबीच हमरा कने विशेष महत्व भेटैए ।
स्थानीय पत्रकार आशीष गुप्ताक कहब छैन, जनकपुर आ नेपालगञ्ज ई दू नगरऽक माध्यम सँ मिथिला आ अवधबीचऽक सम्बन्ध सुदृढीकरणलेल जुटब दूनु भूगोलऽक लोकऽक कर्तव्य अइछ । हुनकर बात सँ हमहुँ सहमत छी आ लगैए आगाामी दिनमे एहि दृष्टिएँ काज आगाँ बढ़ाएल जेबाक चाही ।
आशीषक बात सँ ई बुइझ खुशी लागल जे नेपालगञ्जमे तँ दूनु सभ्यताकेँ जोड़बालेल एक हिसाबे अभियान चइलरहल छै । एखन एतऽ नेपालगञ्ज आ जनकपुरबीच हवाइ सेवा सञ्चालन कएल जेबाक चाही से माग करैत अभियान चलाओल जा रहल अइछ । हमरा बुझाएल, जनकपुरदिसि एहन अभियानक कमी छै ।
स्थानीय जानकारलोकैनकँ अनुसार सीमावर्ती भारतीय क्षेत्र रुपैडिहा, नानपारा, बहराइच, पिलिभित आदि भारतीय क्षेत्रक लोकऽसभ सेहो नेपालगञ्जऽक एहि अभियान सँ सहमत छैथ ।
एहिबेरुक हमर यात्राक क्रममे मैथिली आ अवधी भाषाक सम्बन्धमे सेहो बात भेल । एहि क्षेत्रक भाषा अभियानीसभ जनकपुर आ नेपालगञ्जऽक माध्यमे तुलसीदास आ विद्यापतिकेँ दूनु भूगोलमे विस्तार करबाक बातपर जोड़ दैत छैथ ।
भाषा अभियानी आ पत्रकार राकेश मिश्र आ भाषा तथा सामाजिक अभियन्ता अधिवक्ता विश्वजित तिवारी भाषाक आदानप्रदान सँ सेहो सभ्यताकेँ जोड़ल जा सकबाक बात बतौलैन । हम हुनकालेकैनकेँ जानकारी दैत कहलियैन, तुलसीकृत रामायण तँ हमर मिथिलामे लोकप्रीय अइछ, अहुँसभ चन्दा झा रामायण आ सीतायणक चर्चा एहि भूगोलमे करू ।
हम उपरो चर्चा कएल जे एहि शहर सँ हमर आत्मियताक निकटता वृद्धिक एक कारण आर हम बोध केने छी, ओ ई जे पछिला दिनमे क्रमशः एहि शहरमे मिथिला सभ्यता आ संस्कृति सेहो पल्लवित–पुष्पित भऽ रहल अइछ ।
अवधी भाषा, साहित्य आ संस्कृतिमे रमल नेपाली भाषी पत्रकार झलक गैरै, शुक्रऋषि चौलागाई आ मानअधिकारकर्मी प्रकाश उपाध्याय पछिला समयमे एहि ठाममे मैथिली भाषीक संख्या सेहो किछु बढ़ल बात बतऽबैत पछिला दिनमे एतऽ मैथिली संस्कृतिक गतिविधि बढ़ल सेहो जानकारी देलैन । हुनकासभऽक कहब छलैन, अवधी आ मैथिली संस्कृतिक प्रवद्र्धन सँ राष्ट्रिय संस्कृतिक प्रवद्र्धनकेँ वल पहुँचाएल जा सकैत छै ।
नेपालगञ्जमे मिथिलावासी
स्थानीय पत्रकार, संस्कृतिकर्मी आ भाषा अभियानीसभ सँ एहिबेर हम कार्यरत संस्था राष्ट्रिय समाचार समिति (रासस)द्वारा सञ्चालित मातृभाषा समाचार सेवाक सन्दर्भमे सेहो बातचित भेल रहए । रासस एखन अवधी, मैथिली आ नेपाल भाषामे समाचार सम्प्रेषण कऽ रहल छै ।
गोरखापत्रके स्थानीय प्रतिनिधि हमर पुरान मित्र पत्रकार सिराज खानऽक कहब छलैन, राससके मातृभाषा समाचार सेवा सेहो अवधी आ मैथिली भाषा, साहित्य प्रवद्र्धन करबाक दिशामे महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह कऽ सकैए ।
रासस नेपालगञ्ज कार्यालय प्रमुख युवराज पाण्डे जानकारी देलैन, नेपालगञ्ज अवधीभाषीक बाहुल्य क्षेत्र मानल जाइत अइछ । मुदा एतऽ मिथीलावासीक सेहो उल्लेख्य बसोबास रहल बात बहुत कमकेँ बुझल भऽ सकैत छैन ।
नेपालगञ्ज आसपासऽक क्षेत्रमे एक सओ ५० बर्ष सँ बसोबास करैत आइबरहल मैथिल समुदायक लोक अपन संस्कृति आ रहनसहनकेँ संरक्षण करैत आइबरहल छैथ । एतऽ मैथिल कायस्थ समुदायक करिव ५० घर रहल बात नेपालगञ्ज ८ मे रहनिहार मङ्गलप्रसाद महिला कलेजके प्रार्चाय रविन्द्र कर्ण जानकारी देलैन ।
हुनक कहब छैन, एतऽ विगत तीस वर्ष सँ चित्रगुप्त पूजाक आयोजन भऽ रहल अइछ । वागेश्वरी मन्दिर परिसरमे चित्रगुप्त मन्दिर अइछ ।
पत्रकार महासंघक पूर्व महासचिव आ नेपाली कांग्रेसक नेता पोषण केसी एहि नगरमे दशमी आ दीयावातीक सँगहि मिथिला क्षेत्रक प्रमुख पर्वसब छैठ, जीतिया, सामचकेवा, फगुवा आदिक भव्य आयोजन कएल जेबाक जानकारी देलैन ।
पत्रकार नरेन्द्र थापा भैयाक मोताविक विभिन्न पेशा आ रोजगारऽक क्रममे बाँके जिलामे पूर्वी नेपालऽक बारा, सर्लाही, महोत्तरी, सिराहा, सप्तरी आ धनुषा सँ आएल मैथिलऽक करिव सात सओ घरपरिवार एतऽ रहल अनुमान अइछ ।
हुनकामोताविक एहि जिलामे करिव हजारक संख्यामे मैथिलीभाषी मतदाताके सेहो होबाक अनुमान छै । पत्रकार नरेन्द्रक बातकेँ समर्थन करैत दोसर पत्रकार राकेश आ युवराज कहैत छैथ, नेपालगञ्जऽक अतिरिक्त कोहलपुर, खजुरा, राप्तीसोनारी आ नरैनापुरमे समेत मैथलीभाषीक बसोबास उल्लेख्य संख्यामे अइछ ।
नेपालगञ्ज सँ पारिवारिक सम्बन्ध
लुम्बिनी प्रदेशऽक बाँके जिलाक मुख्यालय रहल ई नगर विगतमे नेपालमे संघीयता स्थापना सँ पहिने मध्यपश्चिम नेपालऽक प्रमुख व्यापारिक आ प्रशासनिक नगर रहि आएल छलए । तहिया एहि शहरऽक रुतबे विशेष छलैए ।
मुदा संघीयता एलाक बाद लुम्बिनी प्रदेशऽक मुख्यालयक रुपमे पहिने बुटवल आ बादमे दाङ तथा कर्णाली प्रदेशऽक मुख्यालयक रुपमे सुर्खेत स्थापित भेलाक बाद एहि नेपालगञ्ज शहरऽक शक्ति आ प्रभाव प्रभावित भेल बात ककरो सँ छपित नै अइछ । मुदा एहि शहरऽक सांस्कृतिक रुतबा काइलो कायम छलैए आ ई अवस्था आइयो विद्यमान अइछ ।
एहि शहर सँ हमर बहुत पुरान सम्बन्ध रहि आएल अइछ । जतऽधैर हमरा स्मरण अइछ, एहि शहरकेँ हम २०३५/३६ ९१९७८/७९० साल सँ चिन्हैत छियै । तहिया हमरा पिताजी सुर्खेतमे नेपाल सरकारऽक कर्मचारीक रुपमे क्रियाशील रहैथ । ओहि समयमे सुर्खेत जेबालेल कि तँ नेपालगञ्ज सँ हवाइजहाजके यात्रा या पैदल माध्यम सँ जाए पड़ैत छलै ।
ताहि सन्दर्भमे हमरालोकैनकेँ नेपालगञ्ज सँ बेस सम्पर्कमे रहऽ पड़ैत छलए । तहिये थोड़बहुत बुझऽ लागल छलियै हम एहि नगरकेँ । नेपालगञ्ज सँ विशेष आत्मीयता विकसित भेलजकाँ लागल छलए । हमर सँझिला कका योगेन्द्र झा सपरिवार नेपालेगञ्जमे वसल छैथ ।
स्थानीय फुलटेक्रामे हुनकर घर छइन । एहि हिसाबे नेपालगञ्ज एक प्रकार सँ हमरालोकैनकेँ घर सेहो अइछ आ कहियोकाल हम अपन मित्रमण्डलीमे स्थानीय होबाक लाभ उठेबाक प्रयास सेहो करै छी एतऽ ।
स्मृतिमे पत्रकारिताक विविध सन्दर्भ
एक पत्रकारके रुपमे सेहो एहि शहर सँ हमर अनेक स्मृति जुड़ल अइछ । हमरा स्मरण अइछ, जहिया हम नेपाल पत्रकार महासंघके केन्द्रीय अध्यक्ष रही तहिया अर्थात २०६७ सालमे एतऽ महासंघके केन्द्रीय साधारणसभा आयोजित भेल रहैक ।
ओहि कार्यक्रमकँ समुद्घाट्न प्रथम राष्ट्रपति डा रामवरण यादवद्वारा भेल रहए । पत्रकार महासंघके कार्यक्रममे नेपालऽक राष्ट्रप्रमुखके ओ पहिल उपस्थिति रहए । हम जहियाजहिया एहि भूमिपर रहै छी हमरा ओ दिन स्मरण भऽ जाइए । स्वाभाविक छलै एहुबेरुक यात्रा अपवाद नै रहए । हमरा मोन पड़ल विपि, पुष्पलाल आ त्रिभुवन चौक ।
धर्मेन्द्रक दोकानके पान । धम्बोझी चौकऽक नास्ता पुड़ी जिलेबी । औद्योगिक क्षेत्र परिसरऽक कार्यक्रम स्थल । सहभागकि भोजन आ आवास व्यवस्थापनके लेल भइर राइत सडकमे अपन वास । सहभागकि अगरपन्नी आ मानमनौवल । राष्ट्रप्रमुखऽक सुरक्षाक नामपर सहसह करैत सुरक्षाकर्मी । ओह १ ओ पुरना बात मोन पडि़ते जेना अनायस तनाव उत्पन्न भऽ जाइत हुअए ।
एक स्मृति जुड़ल अइछ नेपाल पत्रकार महासंघके बाँके कार्यालय भवन सँ । एहि भवनके निर्माण हमरे कार्यकालमे भेल अइछ । इतिहास साक्षी अइछ ई कार्यालय भवनऽक उद्घाटन हमही केने छी । एक सहजकर्ताक हैसियत सँ पत्रकारिताक अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रम हम एतऽ सहजीकरण केने छी ।
एतौका बहुतो क्रियाशील पत्रकार हमर पत्रकारिता प्रशिक्षणक उत्पादन छैथ जँ कही तँ अनुचित नै हएत । एहुबेरुक यात्राक क्रममे एहन अनेक सहभागी सँ भेट भेल रहए जे पुरान दिनसब मोन पाइड़ देलैन ।
क्रमशः विकसित भऽ रहल शहर
पश्चिम नेपालऽक एक व्यापारिक केन्द्रक रुपमे स्थापित नेपालगञ्ज आ कोहलपुर ओहि क्षेत्रक ट्रान्जिट केन्द्रक रुपमे सेहो स्थापित छै । नेपालगञ्ज सँ करिव १४ किलोमीटरक दूरीमे अवस्थित छै कोहलपुर नगरपालिका ।
पछिला दिनमे तेजी सँ विकसित भऽ रहल कोहलपुर वजार सँ दक्षीणमे नेपालगञ्ज होइत भारतीय सीमा रुपैडिहा, पीश्चममे टीकापुर, धनगढी, महेन्द्रनगर, पुर्वमे पूर्वी नेपालके कोनो जगह आ उत्तरमे सुर्खेतलगायतऽक कर्णली प्रदेशऽक विभिन्न स्थानसबके यात्रा कएल जा सकैंए । हम अनेकोबेर एहि नगरमे सेहो रहल छी ।
एहि ठाम सेहो पत्रकारिता भऽ रहल छै आ पत्रकारितेक सन्दर्भमे हम ओतऽ अनेकोबेर समय व्यतीत केने छी । अनेक स्मृति सुरक्षित अइछ । नेपालगञ्ज आ कोहलपुर भूगोलऽक हिसाबे अत्यन्त निकट नगर अइछ । मुदा सास्ंकृतिक आ सभ्यताक हिसाबे दूनु नगर दू तरहक विशेषतायुक्त छै । जतऽ कोहलपुरमे नेपाली आ थारु भाषा, साहित्य आ संस्कृति प्रभावी अइछ तँ नेपालगञ्जमे अवधीक अतिरिक्त नेपाली भाषा साहित्यक सेहो उल्लेख्य प्रभाव अइछ ।
हम कएबेर नेपालगञ्ज शहर गेल छी आ रहल छी, तकर कोनो गणना नै अइछ । मुदा एतौका प्रत्येकवेरुक यात्रा हमरा नव बुझाइए । एहि हिसाबे एहि शहरऽक विकासऽक एक प्रखर साक्षीक रुपमे हम अपनाकेँ पबैत छी । विगतमे कोहलपुर सँ नेपालगञ्ज धैरके सड़क अत्यन्त छोट रहए ।
ओतऽ आई चाइर लेनके हाइटेक सड़क अस्तित्वमे अइछ । एहिबीचमे पहिने नीक वस्ती नै रहए आब सघन वस्तीक उपस्थिति छै । उद्योग, कलकारखान आ विशिष्ट होटललगायतऽक व्यापारिक प्रतिष्ठान आजुक नेपालगञ्जऽक परिचय बइन गेल छै । तहिना पहिने स्थानीय खजुरामे विमानस्थल छलैक जे छोट रहै । आब राँझामे विमानस्थल छै, जे पैघ, आधुनिक आ विकसित छै ।
वागेश्वरीक नगरी
नेपालगञ्ज आइब कऽ जँ वागेश्वरी माताक दर्शन नै करी आ रेवडी तथा लस्सीक स्वाद नै लेल जाए तँ नेपालगञ्ज एनाईके कोनो अर्थ नै रहि जाइत छै । नेपालगन्ज उपमहानगरपालिका २ मे अवस्थित बागेश्वरी मन्दिर एहि क्षेत्रमे हिन्दु धर्मावलम्बीक महत्वपूर्ण तथा पवित्र धार्मिक तीर्थस्थल मानल जाइत अइछ । पत्रकार पाण्डेक बात जँ मानी तँ, सतीदेवीक जिह खसल हेबाक विश्वासऽक आधारपर ई स्थान बाक्यश्वरी, बाग्यश्वरी होइत पाछाँ बागेश्वरीक रुपमे चर्चित भेल अइछ ।
मन्दिरऽक अगलबगल भैरव, काली, सिंह आदिक मूर्ति आ मन्दिर छैक । एतैका नाग मन्दिरमे नागपञ्चमीक दिन विशेष पूजा कएल जाइत छै । एतऽ दुर्गा भवानीक प्रसिद्ध मन्दिर आ आराध्यदेव महादेवऽक प्रतिमा स्थापित अइछ ।
पछिला दिनमे विकसित भौतिक संरचनासब साक्षी अइछ जे नेपालगञ्ज विकासऽक दिशामे क्रमशः आगाँ बइढरहल अइछ । नेपालगञ्ज आ जनकपुरबीचऽक सम्बन्ध जँ सुदृढ होउक तँ एकर लाभ निश्चय दूनु सभ्यता सँ सम्बन्धित लोककेँ प्राप्त हेतै । एहिबेरुक हमर दू दिनमा यात्रा कौखन समाप्त भऽ गेल नै बुझलियै । हमरा काठमाण्डू गेनाई जरुरी छल ।
काठमाण्डू जेबालेल अखाढ़ऽक २२ गतेक साँझ हम राँझास्थित नवका विमानस्थल एलौ । सँगमे रहैथ राकेश आ युवराज । हुनकासभकेँ हम कहलियैन, नेपालगञ्ज तँ हम बहुतोबेर आएल छी, मुदा एहिबेरुक जकाँ सांस्कृतिक अनुभवऽक आदानप्रदान पहिने कहिओ नै भेल रहए ।
एहि दृष्टिएँ एहिबेरुक यात्रा विशेष रहल । हुनकासभकेँ पाछाँ छोइड़ हम चेकइन काउण्टरदिसि बइढ़ गेलौं । देखलियै विमानस्थलऽक नवका टर्मिनल भवनके निर्माण अन्तिम चरणमे छै, शायद कनिए दिनक बाद ई सञ्चालनमे आइब जाएत ।
(राष्ट्रिय समाचार समितिक अध्यक्ष धर्मेन्द्र झा, पत्रकारिता, साहित्य एवम् समसामयिक विषयसबमे सशक्त रुपमे कलम चलबैत आइब रहल छइथ ।) साभार : दलानन्युज ।